No Products in the Cart
जीवन में कोई भी ऐसी घटना जो अचानक घटित हो रही है उसका कारण राहु है क्योंकि उसी के प्रभाव से घटनाएं घटित हो रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो आकस्मिकता ही राहु है। इसी के साथ कई सारे लक्षण हैं जिनसे आप यह पता लगा सकते हैं कि आपकी कुंडली में राहु अशुभ फल दे रहा है।
1. झूठ कहने की आदत लगना
2. नशीले पदार्थों का सेवन करना
3. नैतिक मूल्यों में कमी
4. निष्ठाहीन होना
5. धोखाधड़ी करना
6. पेट से जुड़ी समस्याएं होना
7. कठोर वाणी होना
8. मान-सम्मान, प्रतिष्ठा में कमी आना,
9. मानसिक तनाव होना
10. आत्मसंयम खोना।
राहु की दशा में जातक के स्वभाव में कई सारे नकारात्मक परिवर्तन आने लगते हैं, इतने अधिक बदलाव कि जातक की बुद्धि तक भ्रष्ट हो जाती है। ये बदलाव इसलिए क्योंकि राहु का स्वभाव गूढ़ है, जिस कारण यह समस्याएं भी गूढ़ ही देता है। जातक इतनी सारी परेशानियों से घिरा होता है कि वह पागलपन की स्थिति में आ जाता है।
आइये जानते हैं Remedies for Rahu :
1. अगर Rahu Dasha जातक की कुंडली में अशुभ फल दे रही है तो राहु बीज मंत्र का रोज़ 11 या 108 बार जाप करें।
2. Rahu remedies बुधवार के दिन सरसों, सिक्का, नीले या भूरे रंग के वस्त्र और कांच की वस्तुएं दान करनी चाहिए।
3. राहु दोष से मुक्ति पाने के लिए Rahu Yantra Locket धारण करें, इससे शीघ्र ही आपको शुभ परिणाम दिखने लगेंगे।
राहु भगवान शिव के आराधक माने जाते हैं, यदि जातक की कुंडली में राहु नीच होकर अशुभ फल दे रहा है तो उसे अवश्य ही भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए।
कुंडली में अशुभ राहु अनिद्रा, मानसिक रोग, उदर रोग, चर्म रोग और हड्डियों से जुड़े रोगों का कारण बनता है।
नवग्रहों में शनि के बाद राहु सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। यह किसी राशि में यदि विराजमान है तो वह लगभग एक से डेढ़ वर्ष तक रहता है और उसके बाद दूसरी राशि में प्रवेश कर जाता है।
कुंडली में राहु का स्थान तीसरा है तो ऐसा व्यक्ति बहुत प्रभावशाली व्यक्तित्व का माना जाता है वह खूब तरक्की करता है। छठे भाव में राहु जातक को परेशानियों से छुटकारा दिलाता है। अगर जातक की कुंडली में राहु 11 वें घर में मौजूद है तो वह अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान जातक को धन का लाभ होता है मान-सम्मान में वृद्धि होती है। मकर लग्न में जन्म लेने वाले जातकों के लिए भी राहु बहुत शुभ होता है क्योंकि उस समय कुंडली में उसका स्थान 12वां होता है।
राहु का दिन कौन सा होता है?
राहु का कोई एक विशेष दिन नहीं है सप्ताह में हर दिन इसका खास समय और दिशा निश्चित होती है।
रविवार : शाम 4:30 से 6:00 बजे तक, ( नैऋत्य कोण में राहु का निवास )
सोमवार : सुबह 7:30 से 9:00 बजे तक, ( उत्तर दिशा में राहु का निवास )
मंगलवार : दोपहर 3:00 से 4:30 बजे तक, ( आग्नेय कोण में राहु का निवास )
बुधवार : दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक, ( पश्चिम दिशा में राहु का निवास )
गुरुवार : दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक, ( ईशान कोण में राहु का निवास )
शुक्रवार : सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 तक, ( दक्षिण दिशा में राहु का निवास )
शनिवार : सुबह 9:00 से 10:30 बजे तक ( वायव्य कोण में राहु का निवास )
राहु के आराध्य देव कौन है?
राहु के आराध्य देव भगवान शिव है इसलिए जिन जातकों के जीवन में राहु के दुष्प्रभाव दिख रहे हैं उन्हें भगवान शिव और काल भैरव की पूजा करनी चाहिए।
राहु की महादशा कितने साल की होती है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु की महदशा 18 साल की होती है। कुंडली में राहु के प्रभाव कम करने के लिए राहु के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।