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by Prabhubhakti order on March 24, 2023

केतु खराब होने के क्या लक्षण है?

आइये जानते हैं केतु खराब होने पर क्या होता है :

1. नशीले पदार्थों की बुरी लत लगना।
2. ज़ुकाम-खांसी हर समय रहना।
3. रीढ़ की हड्डी में परेशानियां होना।
4. पथरी की समस्या होना।
5. चर्म रोग से पीड़ित होना।
6. हर समय जोड़ो में दर्द रहना।
7. संतान का दुखी रहना।
8. बहरेपन की अवस्था आ जाना।

केतु शुभ है या अशुभ कैसे जानें?

यदि जातक की कुंडली में केतु शुभ या अशुभ फल दे रहा है तो इसका पता कुछ लक्षणों से लगाया जा सकता है आइये जानें उन अवस्थाओं के बारे में………

केतु के शुभ फल की अवस्था :

1. केतु को शुभ स्थिति में अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि का प्रमुख कारक माना जाता है।
2. शुभ केतु किसी व्यक्ति को रंक से राजा बना सकता है।
3. केतु अपने दूसरे और आठवें भाव में शुभ फल देने लगता है।
4. अगर केतु गुरु ग्रह के साथ अपनी युति को बना रहा है तो जातक की कुंडली में इससे राजयोग बनता है।
5. कुंडली में केतु बली हो तो यह पैरों को मजबूत करता है और पैरों से संबंधित होने वाले रोगों से रक्षा करता है।
6. शुभ मंगल के साथ केतु की युति से जातक साहसी होता है।

केतु के अशुभ फल की अवस्था :

1. केतु की अशुभ दृष्टि यदि जातक पर है तो वह बुरी संगति और लत का शिकार होता है।
2. उसे हर समय सर्दी ज़ुकाम, जोड़ों में दर्द और पथरी की पीड़ा रहती है।
3. आर्थिक परेशानियां समय-समय पर सामने आती हैं। कभी व्यापार में घाटा तो कभी धन की हानि होती है।
4. कई प्रयासों के बावजूद अगर आपको मेहनत का फल नहीं मिल रहा है तो केतु अशुभ स्थिति में है।
5. वाहन दुर्घटना का खतरा बना रहता है।
6. अशुभ केतु जातक को नाना और मामा के प्यार से वंचित करता है।

केतु को मजबूत कैसे करे?

आइये जानते हैं केतु को कैसे शांत और मजबूत करें :
1. केतु को मजबूत करने के लिए और अशुभ प्रभावों से शीघ्र मुक्ति पाने के लिए Ketu Yantra Locket धारण करें।
2. यदि जातक की कुंडली में केतु का दोष है तो जातक को कम से कम 18 शनिवार तक व्रत का पालन करना चाहिए।
3. केतु को शांत करने के लिए ”ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:” मंत्र का जाप कम से कम 11 बार और अधिकतम 108 बार करें।
4. केतु की शांति के लिए हर शनिवार पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं।
5. केतु दोष से मुक्ति पाने के लिए छाता, लोहा, उड़द, गर्म कपड़े, कस्तूरी, लहसुनिया आदि का दान करना शुभ माना जाता है।
6. अपनी संतान से दुर्व्यवहार न करें और कुत्ते की सेवा करें।

केतु कैसे फल देता है?

केतु के अधिकतर फल आक्समिक होते हैं फिर चाहे वे शुभ हों या अशुभ। शुभ होने की स्थिति में केतु राजयोग की अवस्था तक बना देता है और अशुभ होने की स्थिति में केतु आक्समिक दुर्घटना और बड़े घाटे का कारण बनता है।

केतु से कौन सा रोग होता है?

केतु से व्यक्ति को चर्म रोग, पथरी की समस्या, जोड़ों में दर्द, बहरापन, रीढ़ की हड्डी से जुड़े रोग होते हैं।

केतु अशुभ कब होता है?

केतु दूसरे और आठवें भाव के अलावा किसी भी भाव में हो अशुभ फल ही प्रदान करता है।

केतु की दशा कितने साल की होती है?

केतु की महादशा 7 वर्ष की और अंतरदशा की अवधि 11 महीने से सवा साल तक के बीच की होती है।

केतु ग्रह के देवता कौन है?

केतु ग्रह के देवता विघ्नहर्ता भगवान गणेश माने जाते हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से कोई भी जातक केतु की अशुभ या नीच अवस्था से मुक्ति पा सकता है।

केतु की उच्च राशि कौन सी है?

केतु की उच्च राशि धनु मानी गई है इस राशि में केतु होने पर वह शुभ फल ही प्रदान करता है। केतु शुभ स्थिति में मंगल के समान शुभ माना जाता है।

केतु मंत्र का जाप कब करना चाहिए?

केतु मन्त्र का जाप रात्रि के समय करने से मंत्र के प्रभाव शीघ्र देखने को मिलते हैं।

केतु के लिए क्या दान करना चाहिए?

केतु खराब चल रहा हो तो लोहा, तिल, तेल, उड़द और नारियल दान करना चाहिए। कौवे, गाय और कुत्ते को रोटी खिलाएं।

केतु की जप संख्या कितनी है?

यदि जातक केतु के दुष्प्रभावों को कम करना चाहते हैं तो उन्हें केतु मन्त्र की जप संख्या 17 हज़ार होनी चाहिए।

केतु का बीज मंत्र क्या है?

केतु बीज मंत्र : ”ॐ कें केतवे नमः”