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1- एक मुखी रुद्राक्ष- इसे पहनने से शोहरत, पैसा, सफलता प्राप्ति और ध्यान करने के लिए सबसे अधिक उत्तम होता है। इसके देवता भगवान शंकर, ग्रह- सूर्य और राशि सिंह है।
मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।
2- दो मुखी रुद्राक्ष- इसे आत्मविश्वास और मन की शांति के लिए धारण किया जाता है। इसके देवता भगवान अर्धनारिश्वर, ग्रह- चंद्रमा एवं राशि कर्क है।
3- तीन मुखी रुद्राक्ष- इसे मन की शुद्धि और स्वस्थ जीवन के लिए पहना जाता है। इसके देवता अग्नि देव, ग्रह- मंगल एवं राशि मेष और वृश्चिक है।
4- चार मुखी रुद्राक्ष- इसे मानसिक क्षमता, एकाग्रता और रचनात्मकता के लिए धारण किया जाता है। इसके देवता ब्रह्म देव, ग्रह- बुध एवं राशि मिथुन और कन्या है।
5- पांच मुखी रुद्राक्ष- इसे ध्यान और आध्यात्मिक कार्यों के लिए पहना जाता है। इसके देवता भगवान कालाग्नि रुद्र, ग्रह- बृहस्पति एवं राशि धनु व मीन है।
6- छह मुखी रुद्राक्ष- इसे ज्ञान, बुद्धि, संचार कौशल और आत्मविश्वास के लिए पहना जाता है। इसके देवता भगवान कार्तिकेय, ग्रह- शुक्र एवं राशि तुला और वृषभ है।
7- सात मुखी रुद्राक्ष- इसे आर्थिक और करियर में विकास के लिए धारण किया जाता है। इसके देवता माता महालक्ष्मी, ग्रह- शनि एवं राशि मकर और कुंभ है।
8- आठ मुखी रुद्राक्ष- इसे करियर में आ रही बाधाओं और मुसीबतों को दूर करने के लिए धारण किया जाता है। इसके देवता भगवान गणेश, ग्रह- राहु है।
9- नौ मुखी रुद्राक्ष- इसे ऊर्जा, शक्ति, साहस और निडरता पाने के लिए पहना जाता है। इसके देवता माँ दुर्गा, एवं ग्रह- केतु है।
मंत्र- ।। ॐ ह्रीं हूं नम:।।
10- दस मुखी रुद्राक्ष- इसे नकारात्मक शक्तियों, नज़र दोष एवं वास्तु और कानूनी मामलों से रक्षा के लिए धारण किया है। इसके देवता भगवान विष्णु जी हैं।
11- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष- इसे आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी, निर्णय लेने की क्षमता, क्रोध नियंत्रण और यात्रा के दौरान नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा पाने के लिए पहना जाता है।
इसके देवता हनुमान जी, ग्रह- मंगल एवं राशि मेष और वृश्चिक है।
12- बारह मुखी रुद्राक्ष- इसे नाम, शोहरत, सफलता, प्रशासनिक कौशल और नेतृत्व करने के गुणों का विकास करने के लिए धारण किया जाता है।
इसके देवता सूर्य देव, ग्रह- सूर्य एवं राशि सिंह है।
13- तेरह मुखी रुद्राक्ष- इसे आर्थिक स्थिति को मजबूत करने, आकर्षण और तेज में वृद्धि के लिए धारण किया जाता है। इसके देवता इंद्र देव, ग्रह- शुक्र एवं राशि तुला और वृषभ है।
14- चौदह मुखी रुद्राक्ष- इसे छठी इंद्रीय जागृत कर सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करने के उद्देश्य से धारण किया जाता है।
इसके देवता शिव जी, ग्रह- शनि एवं राशि मकर और कुंभ है।
15- गणेश रुद्राक्ष- इसे ज्ञान, बुद्धि और एकाग्रता में वृद्धि, सभी क्षेत्रों में से सफलता के लिए, एवं केतु के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए धारण किया जाता है।
इसके देवता भगवान गणेश जी हैं।
16- गौरी शंकर रुद्राक्ष- इसे परिवार में सुख-शांति, विवाह में देरी, संतान नहीं होना और मानसिक शांति के लिए धारण किया जाता है।
इसके देवता भगवान शिव-पार्वती जी, ग्रह- चंद्रमा एवं राशि कर्क है।
नौ मुखी रुद्राक्ष से धन सम्पत्ति, मान सम्मान, यश, कीर्ति और सभी प्रकार के सुखों की वृद्धि होती है।
नौ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से आंखों की दृष्टि तेज होती है।
मां नवदुर्गा का स्वरूप होने के कारण यह रक्षा कवच का काम करता है और मनुष्य को मानसिक और भौतिक दुखों से बचाता है।
9 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति की कीर्ति और मान-सम्मान में वृद्धि होती है। मन को शांति मिलती है।
महिलाओं के लिए यह नौ मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी है।
यदि आपके जीवन में केतु के कारण परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं तो आपको नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।
भौतिक सुख के साथ-साथ अध्यात्म की गहराईयों को जानने के लिए यह रुद्राक्ष पहन सकते हैं। नौ मुखी रुद्राक्ष राहू से संबंधित है।
जिन लोगों की कुंडली में राहू कमजोर स्थिति में है या बुरे प्रभाव दे रहा है, उन्हें इस Rudraksha को पहनने से बहुत लाभ होता है।
रुद्राक्ष को तुलसी की माला की तरह की पवित्र माना जाता है। इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा से दूरी बना लेना चाहिए। एक महत्वपूर्ण बात यह है
कि रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए। इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष ले जाने से
बचना चाहिए।
9 mukhi rudraksha को धारण करने से पहले उसको गौमूत्र, दही , शहद , कच्चे दूध और गंगाजल से स्नान करके शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव जी का ध्यान करे।
शुद्ध करके इस चंदन, बिल्वपत्र, लालपुष्प अर्पित करें तथा धूप, दीप दिखाकर नौ मुखी रुद्राक्ष सिद्ध कर ले !
उसके बाद 9 Mukhi Rudraksha Dharan करने वाले को शिवलिंग से स्पर्श कराकर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके मंत्र जाप करते हुए इसे धारण करें ।